A Simple Key For hanuman chalisa Unveiled

भावार्थ – हे हनुमान जी ! यदि कोई मन, कर्म और वाणीद्वारा आपका (सच्चे हृदय से) ध्यान करे तो निश्चय ही आप उसे सारे संकटों से छुटकारा दिला देते हैं।

हनुमान चालीसा लिरिक्स स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखे हैं, जो कि रामायण के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है।

chhūtahi ChhūtahiFreed / eradicated bandiBandiShackles / bondage mahāsukha MahāsukhaGreat pleasure / bliss HoiHoiBe / is Meaning: He who recites this 100 situations, he is going to be released/Minimize from bondage of discomfort & sufferings and he can get Terrific happniness/blissfulness.

Hanuman leaps and finds the mountain. There, states Ramayana, Hanuman finds the mountain is filled with several herbs. He does not know which one particular to get. So, he lifts the whole Himalayan mountain and carries it across India to Lanka for Lakshmana. His huge power So can help Lakshmana Get well from his wound.[sixty] This legend is the favored basis for your iconography exactly where He's proven flying and carrying a mountain on his palm.[61]

— Mahatma Gandhi Photograph the strongest guy on the earth hurrying by palace corridors, arms laden with publications. This was no imagined scene, but somewhat a real minute get more info within the life of Roman Emperor

A person who recites this Chalisa a hundred instances is launched from all bondages and may achieve terrific bliss.

तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥ बिद्यावान गुनी अति चातुर ।

They arrest Hanuman, and below Ravana's orders just take him to your community execution. There, Ravana's guards commence his torture by tying his tail with oiled cloth and location it on fireplace. Hanuman then leaps from 1 palace rooftop to another, burning all the things down in the process.[62]

राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

bhūtaBhūtaEvil spirits / ghosts pishāchaPishāchaDemons nikataNikataClose / in the vicinity of nahiNahiNot āvaiĀvaiCome

हनुमान चालीसा, लाभ, पढ़ने का सही समय, क्यों पढ़ें?

मति रामहि सों, गति रामहि सों, रति रामसों, रामहि को बलु है।

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।

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